Add To collaction

वृक्ष दोहे (पादप )

*वृक्ष*
        दोहे(पादप)
पादप की महिमा अकथ,यह धरती का प्राण।
औषधि एक अमोघ यह,करता जन-कल्याण।।

पत्र-पुष्प-फल-स्रोत तरु,करे शुद्ध जलवायु।
इसकी रक्षा से बढ़े, जीव-जंतु की आयु।।

हरियाली ही विटप की,देती हर्ष अपार।
पथिक बैठ तरु-छाँव में,पाता सुख-संसार।।

पादप ठौर-ठिकान है,नभचर-रुचिर निवास।
मधुर कंठ खग-गीत कर,सुखमय चित्त उदास।।

पत्र-पुष्प-फल,जड़-तना,पादप का हर अंश।
हैं जीवन-आधार ये,नष्ट न हों तरु-वंश ।।

प्रकृति अतुल निधि वृक्ष ये,महि-शोभा की खान।
वृक्षारोपण कर्म शुचि,मानव-धर्म महान ।।

करें प्रतिज्ञा एक ही,तरु-रक्षा-अभियान।
पादप-सेवा से मिले,भव-सुख अमिट निधान।।
           ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
               9919 44 63 72

   6
2 Comments

Renu

27-Dec-2022 09:52 PM

👍👍🌺

Reply

Muskan khan

27-Dec-2022 09:36 PM

Nice

Reply